श्री संत कबीर महाराज
निकट भीमाके तट ठारे कर रखाये कट |
देखो ऐसा मुरहाद मौला करो नामसे लूट ||
साई बिटपर देखो | अंतर ध्यान रखो ||
भगत पुंडलिक उनोके खातर वैंकुठ छोड आयो ||
भीमा किनारे पग जोरकर ठारा बटिपर रहायो ||
गांवत नाचत सबही संत नर और नारी ||
परचित देखो समाधी उन्मनी डारे सबसे फेरी ||
कहत कबीर सुनो भाई साधु तुलसी और बुका |
और कुछ मांगे नही भाव भक्तीसे भूका ||
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